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अच्छी लङकी contest

pragati pari
pragati pari
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जमाना कितना भी बदल गया पर अच्छी लङकी तो वह होती है
बलिदानो की सेज पर हॅसकर कुर्बान जो होती है
निश्छल सी मुस्कान जमाने के तानो मे खोती है
जीवन के संघर्षो मे वो कर्तव्यो को ढोती है
एक इंसा होने से पहले वो किसी की मां बहन बेटी पत्नी होती है
उसकी हर आकांक्षा रिश्तो की भंवर मे उलक्षी होती है
परिवर्तन जीवन का नियम है और नियमो मे तकलीफ भी होती है
परम्पराओ को निभाते निभाते कभी कभी ख्वाहिशे रोती है
संघर्षो की बलिवेदी पर किसी सीता की अग्निपरीक्षा होती है
कोई द्रोपदी हर युग मे अपनी अस्मत को खोती है
कहते है जमाना बदल गया पर महाभारत आज भी होती है,
हारे कर्ण या हारे अर्जुन कुंती हर युग मे रोती है।

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