- 36 Posts
- 85 Comments
आखिर वो घङी आ ही गयी जो हर क्रिकेट प्रेमी के लिये खास थी नम आंखो से क्रिकेट के शहंशाह सचिन की विदाई हुयी । किसी भी क्रिकेट प्रेमी के लिये यह बहुत ही महत्वपुर्ण क्षण था, क्रिकेट के इतिहास का यह यादगार लम्हा था इस लम्हे के साथ किसी भी विवाद का जुङना निसंदेह किसी भी क्रिकेट प्रेमी को रास नही आयेगा पर फिर भी इस लम्हे के साथ एक विवाद जुङ गया। सचिन को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग तो पहले भी उठती रही पर सचिन की विदाई से अच्छा और कौन सा क्षण हो सकता था । निसंदेह सचिन एक महानतम बल्लेबाज है वह भारत रत्न के हकदार है परन्तु क्या सिर्फ वही एकमात्र भारत रत्न के हकदार है ???? यह एक बहुत बङा सवाल है जिस पर मंथन होना आवश्यक है । भारत का राष्ट्रिय खेल हाकी है क्रिकेट नही और हाकी के सरताज ध्यानचंद को कौन नही जानता ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग लम्बे समय से उठ रही है पर आज तक उन्है यह सम्मान नही मिल सका क्या वो इस सम्मान के हकदार नही थे???? अगर हम खेलो को छोङ दे तो भी इस सम्मान को दिये जाने का क्या आधार है उसे समक्षना मुश्किल है पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी यू तो बेहद सशक्त महिला राजनैतिक के रुप मे प्रसिद है परन्तु आपातकाल के निर्णय ने उनकी छवी को खराब किया। उन पर निरंकुशता या तानाशाही के आरोप लगे तदपि उन्है भारत रत्न से सम्मानित किया गया । वही राजीव गांधी बोफोर्स घोटोलो के दाग से अपना दामन नही बचा सके परन्तु वह भी भारत रत्न से सम्मानित हुये ऐसे मे अगर भाजपा स्वचछ छवी के प्रतिष्ठित राजनेता पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई को भारत रत्न की मांग करती है तो इसे नाजायज नही कहा जा सकता है भारत रत्न राष्ट्र का सर्वोच्य सम्मान है इसे किस आधार पर दिया गया यह स्पष्ट होना चाहिये ऐसा नही लगना चाहिये की यह सम्मान किसी राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित होकर दिया गया है अन्यथा इस सम्मान की प्रतिष्ठा भी घटती है और सम्मान पाने वाले की भी।
Read Comments