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बदलाव के लिये बदलना जरुरी है jagran junction forum

pragati pari
pragati pari
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राजनीति मे अपराधियो का बढता वर्चस्व निसंदेह चिंताजनक है। कई बार हमे यह सुनने को मिल जाता है कि राजनीति सरिफो के लिये नही है। पर इस सब के लिये क्या सिर्फ राजनेता कुसुरवार है, मुक्षे तो नही लगता। देश तरक्की करे ईमानदार विकसित राष्ट्र के रुप मे प्रतिष्ठित हो यह जिम्मेदारी सिर्फ राजनेताओ की नही है,यह जिम्मेदारी आपकी हमारी हम सबकी है क्योकी यह देश हम सबका है कोई भी राष्ट्र तरक्की तब करता है जब राष्ट्र के सभी नागरिक उस तरक्की मे भागीदार बनते है किसी एक से राष्ट्र नही चलता । सुप्रिम कोर्ट ने राजनीति मे बढते अपराधिकरण को रोकने के लिये एक ऐतिहासिक फैसला दिया है जिसमे अपराधिक आरोपो से घिरे व्यक्तियो के चुनाव लङने पर रोक लगाने कि बात कही गयी है इस फैसले के आते ही एक व्यापक बहस छिङना तो पुर्वानुमानित था। सरकार पहले तो जल्दबाजी मे इसके विरुध अध्यादेश लाकर आलोचना का शिकार बनी और बाद मे राहुल गांधी घ्दारा अपनी ही सरकार के अध्यादेश को रद्दी की टोकरी मे फेकने के बयान ने कांग्रेस कि फजीहत करा दी। पर बात यहा सिर्फ कांग्रेस या किसी अन्य दल की नही है न ही सिर्फ सुप्रिम र्कोट के फैसले की है असली मुददा तो यह है की ऐसी स्थिती आयी ही क्यो कि सुप्रिम कोर्ट को कोई फैसला देना पङे । हमारा देश लोकत्रांतिक देश है राजनेताओ का चुनाव हम अपनी मर्जी से करते है फिर क्या वजह है कि हम देश की बागङोर उन हाथो मे सौपते है जिनके खुद के दामन दागदार है । कुछ लोग इस बात पर यह तर्क भी दे सकते है कि अगर वो दागियो को वोट न दो तो किसे दे राजनीति मे स्वच्छ छवी वाले लोग है ही कितने अपराधियो की संख्या बहुत अधिक है ऐसे मे करे तो क्या करे ,परन्तु इस स्थिती के लिये भी कही न कही हम ही जिम्मेदार है । आज अधिकतर लोग चाहते है कि उनका बेटा बेटी ङाक्टर बने इंजीनियर बने पर कौन चाहता है कि वो एक ईमानदार राजनेता बने । राजनीति बहुत गंदी चीज है राजनेता दुष्टचरित है यह तो हम खुब कहते है पर हम भूल जाते है कि अगर अपने घर मे गंदगी हो सफाई हमारी ही जिम्मेदारी है अगर किसी कानुन दारा अपराधी छवी वाले नेताओ को चुनाव लङने से रोका भी जाता है तो वह कोई अन्य रास्ता निकाल लेगे जो आज विधायक, सांसद है कल उनकी बीवी भाई, बेटा या कोई और रिस्तेदार सत्ता मे आयेगा जो प्रत्यक्ष रुप से राजनीति से जुङे थे कल परोक्ष रुप से जुङ जायेगे। स्थिती मे सुधार तभी आ सकता है जब आम जनमानस की सोच मे बदलाव आयेगा और वह राजनेताओ को कोसना छोङकर सच्चे मन से राजनीति के सुधार का प्रयास करेगे।

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