pragati pari
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कही अनकही दासता एक सुनानी है जो छुप न सके वो मेरी कहानी है लम्हो के दामन मे एक राज छुपाये बेठे है भीगी पलको पर एक याद छुपाये बेठे है पर एक अनजानी आहट ने दिल के राज खोल दिये लब जो न बोल सके नैना वो सब बोल गये कुछ थे मजबुर कही तुम भी कुछ थे मजबूर कही हम भी पर दिल ने मजबूरी न समक्षी पंक्षी पिंजङे से उङ निकला तोङ के सारे बंधन को वारी जाऊ तुम पर पिया मे तो अपने जीवन को
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