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सोशल मीङिया बदलते दौर की तीखी आवाज-JAGRAN JUNCTION FORUM

pragati pari
pragati pari
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अभिव्यक्ति की स्वत्रन्तता वाले हमारे देश मे न तो हम किसी भी चीज पर अनुचित प्रतिबन्द को सही ठहरा सकते है न मनमाने उपयोग को । हर कार्य अपनी सीमाओ मे रहकर किया जाये तभी तक सही है सीमाओ का अतिक्रमङ हर जगह नुकसानदेय है । आज सोशल मीडिया पर देशव्यापी बहस छिङी है इसके क्या फायदे और क्या नुकसान है कहते है कि हर सिक्के के दो पहलू होते है एक सकारात्मक एक नकारात्मक सोशल मीङिया के साथ भी यही सत्य जुङा है। सोशल मीङिया अभिव्यक्ति का एक सशक्त माघ्यम है खासकर युवाओ के लिये यह वरदान से कम नही क्योकी युवीओ के दिलो मे तो विचारो का अम्बार लगा रहता है बहुत कुछ छिपा रहता है युवा मन मे कई सवाल कई जवाब नई सोच नई योजनाये कितना कुछ पर कई बार दिल कि बाते जुबान तक नही आ पाती कई बार कुछ लोग कुछ बोल नही पाते और कई बार लोग बोलने को तैयार बैठे होते है पर कोई सुनने वाला नही होता ऐसे मे जाये तो जाये कहाँ किससे कहे दिल की बात ऐसे मे सोशल मीङिया किसी वरदान से कम नही दोस्त चाहिये फेसबुक है न कुछ कहना चाहते है ट्रविट करो सामाजिक राजनितिक सार्थक बहस करनी है ब्लाग है एक नजर मे देखने मे फायदा ही फायदा पर तसवीर का दुसरा पहलू कुछ और ही कहता है बोलने की आजादी है किसी को कुछ भी बोल दो मर्यादा क्या होती है कई लोग इसे भुल ही जाते है अगर हमे अपना सम्मान प्यारा है तो हमे यह नही भुलना चाहिये कि औरो को भी अपने सम्मान से प्यार होता है लोकतन्त्र से विरोध की मर्यादा होनी चाहिये विरोध करना है करिये पर सीमाये तय करनी होगी विरोध की भी यु ही कुछ भी कह देना भी सही नही हम एक सभ्य समाज मे रहते है और इस समाज मे सभ्यता कायम रखना हमारी नैतिक तथा सामाजिक जिम्मेदारी है इसके लिये हमारा अपनी सीमाओ मे रहना जरूरी है । अगर इसके लिये कुछ प्रतिबन्ध लगाये जाते है तो गलत नही है पर प्रतिबन्ध अनुचित और मनमाने नही होने चाहिये । लोकतन्त्र मे हमे अभिव्यक्ति का अधिकार मिला है और हमसे हमारा यह हक नही छिनना चाहिये बस कुछ सीमाये निरधारित करनी चीहिये ताकी हम दूसरो के अधिकारो का अतिक्रमण न करे सोशल मीङिया पर वह प्रतिबन्ध होने चाहिये जो अभिव्यक्ति के अन्य माध्यमो पर होते है ताकी किसी की मानहानी न हो न ही किसी की निजी जिन्दगी मे कोई अनुचित दखल हो और लोग सोशल मीङिया का सद्उपयोग कर सके

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