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CONTEST अपनेपन का एहसास दिलाती है हिन्दी

pragati pari
pragati pari
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हिंदी ब्लॉगिंग हिंदी को मान दिलाने में सार्थक हो सकती है या यह भी बाजार का एक हिस्सा बनकर रह जाएगी? एक कहावत है अगर आप दौङ नही सकते तो तेज चलो तेज चल नही सकते तो टहलो टहलना भी सम्भव न हो तो हाथ पैर ही हिलाओ पर आपका हर कदम उस दिशा मे होना चाहिये जहाँ आपकी मंजिल हो । इसी प्रकार हिन्दी को उसका समुचित स्थान दिलाने के लिये सिर्फ बङी बङी गोष्ठिया सम्मेलन ही उपयोगी नही है वरन इस दिशा मे किया गया कोइ भी प्रयास सराहनीय हो सकता है अगर वह पूरे मन से किया गया हो । ब्लागिंग एक सशक्त माध्यम है अभिव्यक्ति का। जिन लोगो को अपने विचार दूसरो तक पहुचाना पसन्द है या किसी मुद्ददे पर समाज का ध्यान खीचना चाहते है , उन्है एक बेहतर जरिया मिला है ब्लागिंग का , यह उपयोगी माध्यम है। इसलिये यह सोचना की हिन्दी ब्लागिंग सिर्फ बाजारवाद का हिस्सा बनकर रह जायेगी मेरी समक्ष से सही नही है और अगर यह बाजारवाद से कुछ हद तक जुडती है तो इसके सिर्फ नुकसान नही कुछ फायदे भी है। बाजार की भाषा या व्यवसाय की भाषा अकसर लाभ की भाषा होती है और यह तो मानव स्वभाव है कि जहाँ लाभ दिखता है व्यक्ति उस ओर खिचा चला जाता है । हमारे देश मे अंग्रेजी को मिल रही महत्ता के पीछे भी कही न कही यह लाभ भी है अंग्रेजी आती होगी तो अच्छी नौकरी मिलेगी नौकरी मे तरक्की अच्छी होगी कई लोग अंग्रजी इसी लिये सिखते है । चाहे तरक्की पाने के लिये या स्टेटस मेंटेन(सामाजिक स्थिती) करने के लिये हम कितनी भी अच्छी इगंलिश बोले पर यह हिन्दोस्तानी दिल सोचता हमेशा हिन्दी मे है आप कभी परेशानियो से घिरे हो कुछ समक्ष न आ रहा हो क्या करे ऐसे मे कोई आकर बोले की हे ङूड डोन्ट वरी एवरीथिंग विल बी आँल राइट दिल को फिर भी आराम नही मिलता पर अगर कोई अपना आकर कन्घे पर हाथ रखे और कहे चिन्ता मत करो सब ठीक हो जायेगा दिल को तसल्ली मिल जाती है फायदा चाहे कही भी छिपा हो पर दिल से वही जुडता है जो अपना हो जब किसी पर प्यार आता है तो दिल की भावनाये हिन्दी गानो मे छलकती है जब किसी पर गुस्सा आता है तो हिन्दी मे जबरदस्त गालिया सुनाने के बाद दिल को कितना सुकुन मिलता है सच तो यह है कि इंगलिश के बढते प्रभाव का एक बङा कारण यह मानसिकता है कि इगंलिश को अपनाने से हम तरक्की की ओर आसानी से बढ सकते है इसलिये मेरे विचार से ब्लागिंग हिन्दी के लिये लाभदायक ही है।

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