- 36 Posts
- 85 Comments
हम जब भी रब से दुआ ,मांगते है यही सोचते है की क्या मांगते है
क्या बिना गम के कोई कहानी बनी है जो हर पल हँसे जिंदगानी बनी है
आसू ही तो बताते है मुस्कानों की कीमत
कभी गम न आये इस जिंदगी मे क्यों ऐसी सजा मांगते है
यही सोचते है की क्या मांगते है
जो चुभा है कोई काटा पेरो मे अपने तो हम भी कभी कोई फूल मसल कर चले थे
जो आँखों से आज आंसू है झलके तो किसी पल तो हम खुलकर हँसे थे
न आये राहो मे कोई गम का बादल क्यों ख़ुदा से ऐसी रजा मांगते है
यही सोचते है की क्या मांगते है …….हम जब भी रब से दुआ ,मांगते है यही सोचते है की क्या मांगते है
क्या बिना गम के कोई कहानी बनी है जो हर पल हँसे जिंदगानी बनी है
आसू ही तो बताते है मुस्कानों की कीमत
कभी गम न आये इस जिंदगी मे क्यों ऐसी सजा मांगते है
यही सोचते है की क्या मांगते है
जो चुभा है कोई काटा पेरो मे अपने तो हम भी कभी कोई फूल मसल कर चले थे
जो आँखों से आज आंसू है झलके तो किसी पल तो हम खुलकर हँसे थे
न आये राहो मे कोई गम का बादल क्यों ख़ुदा से ऐसी रजा मांगते है
यही सोचते है की क्या मांगते है …….
Read Comments