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तंत्र तो है पर गड़ कहा है
जीवन बस संघर्ष यहाँ है
गड़ का अर्थ है जनता और गड्तंत्र है जनता का शासन
पर कइसी जनता कौन सी जनता कहा है जनता ?????
भ्रस्टाचार की बेल है फूले फले लहराये
पर ये बेचारा आम आदमी क्यों न कुछ कर पाए
सोयी है या रोई है या सपनो मे खोयी है
जनता की सुबह अभी तक न होई है
किस किस मुद्दे पर बात करू
या यू ही संताप करू
कुछ बदलेगा हा बदलेगा
केसे यह विश्वास धरु
वंशवाद की बेल खिले फूले फले लहराये
पर देखो ये आम आदमी धर्म पे वोट दे आये
कही सम्प्रयदिकता कही जाती कही छेत्र्यवाद की छाया
इन ६७ सालो मे हमने क्या खोया क्या पाया
गति है जो ये राष्ट्र की या कहे इसे हमे दुर्गति
कौन है इसका कारण केसे इसे सुधारन
क्या सिर्फ नेता या अफसर को कोस कोस कर बदलेगा कुछ
शासन और प्रशासन की ही जिम्मेदारी है सब कुछ
इस देश का कुछ नहीं हो सकता यह डायलॉग बहुत सुना है
पर कुछ बदले इसके लिए हमने क्या किया है
शासन प्रशासन को तो हम जी भर के गालिया देते है
पर अपने कर्तव्यों से पीछे ही हटते रहते है
वोट डालते वक़्त जाति धरम चेत्र्य सब याद हमे रह जाते है
भूलते है तो बस राष्ट्र को वन्दे मातरम कहने से कतराते है
इंडिया गेट पे धरना देगे बेटी के लिए आन्दोलन करेगे
पर सदियों से जकड़ी हुई मानसिकता को हम कब बद्लेगे
बदलोगे जो सोच को अपनी सब कुछ बदल जायेगा
आज़ादी का सही मायना समझ तुम्हे फिर आयगा
असली गड्तंत्र तभी होगा जब जनता की नीद टूटेगी
स्वार्थो को परे रखकर राष्ट्र के बारे मे सोचेगी…………………………..
तंत्र तो है पर गड़ कहा है
जीवन बस संघर्ष यहाँ है
गड़ का अर्थ है जनता और गड्तंत्र है जनता का शासन
पर कइसी जनता कौन सी जनता कहा है जनता ?????
भ्रस्टाचार की बेल है फूले फले लहराये
पर ये बेचारा आम आदमी क्यों न कुछ कर पाए
सोयी है या रोई है या सपनो मे खोयी है
जनता की सुबह अभी तक न होई है
किस किस मुद्दे पर बात करू
या यू ही संताप करू
कुछ बदलेगा हा बदलेगा
केसे यह विश्वास धरु
वंशवाद की बेल खिले फूले फले लहराये
पर देखो ये आम आदमी धर्म पे वोट दे आये
कही सम्प्रयदिकता कही जाती कही छेत्र्यवाद की छाया
इन ६७ सालो मे हमने क्या खोया क्या पाया
गति है जो ये राष्ट्र की या कहे इसे हमे दुर्गति
कौन है इसका कारण केसे इसे सुधारन
क्या सिर्फ नेता या अफसर को कोस कोस कर बदलेगा कुछ
शासन और प्रशासन की ही जिम्मेदारी है सब कुछ
इस देश का कुछ नहीं हो सकता यह डायलॉग बहुत सुना है
पर कुछ बदले इसके लिए हमने क्या किया है
शासन प्रशासन को तो हम जी भर के गालिया देते है
पर अपने कर्तव्यों से पीछे ही हटते रहते है
वोट डालते वक़्त जाति धरम चेत्र्य सब याद हमे रह जाते है
भूलते है तो बस राष्ट्र को वन्दे मातरम कहने से कतराते है
इंडिया गेट पे धरना देगे बेटी के लिए आन्दोलन करेगे
पर सदियों से जकड़ी हुई मानसिकता को हम कब बद्लेगे
बदलोगे जो सोच को अपनी सब कुछ बदल जायेगा
आज़ादी का सही मायना समझ तुम्हे फिर आयगा
असली गड्तंत्र तभी होगा जब जनता की नीद टूटेगी
स्वार्थो को परे रखकर राष्ट्र के बारे मे सोचेगी…………………………..
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