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जिंदगी से लड़कर जीना सिखा गयी वो
दामिनी थी वो आंधियो और पानी मे चमकना सिखा गयी वो
तन को तोड़ दिया पर मन को न तोड़ सका कोई
सच है भारत की बेटी थी वो
गैंग रेप का शिकार दामिनी की मौत सारे देश के लिए एक दुःख भरी घटना है दामिनी की मौत ने कई सवाल खड़े किये है रेप के दोषियों के लिए फासी की सजा का प्रावधान क्यों नहीं है हमारी सरकार क्या कर रही थी पुलिस क्या कर रही थी समाज की क्या गलती है क्या सही है क्या गलत एक लम्बी बहस छिड़ी है
इन सब बातों के बीच एक काबिलेगौर बात यह भी है की उस लड़की का आत्मबल कितना मजबूत था उसकी नीव उसके संस्कारों मे क्या खासियत थी ,,,,,,,,,
६ लडको से घिरी उस लड़की ने अंत तक आत्मसमर्पण नहीं किया और उन दरिंदो से लडती रही / उसका शरीर टूट गया पर उसकी हिम्मत नहीं टूटी वो अंत तक संघर्ष करती रही / इतनी बुरी अवस्था मे भी वो लड़की जीना चाहती थी जिंदगी से भागना नहीं जिंदगी से लड़ना चाहती थी / बलात्कार की शिकार औरते अक्सर समाज और परियार के डर से केस नहीं लडती या बीच से केस वापस ले लेती है ,कई लडकिया अपनी जान तक दे देती है अक्सर पीडिता का हाल ऐसा होता है मानो वही गुनाहगार हो हर कदम पर उसे लड़ना पड़ता है जिंदगी से समाज से कानून से हालत से परिवार से टूट जाता है उसका मनोबल हार जाती है वो
ऐसे मे जब एक लड़की इतने संघर्षो के बाद यह कहती है की वो जीना चाहती है तो सच मे यह बहुत बड़ी बात है
सलाम है उस लड़की के जज्बे को उसके आत्मबल को सलाम तेरे जज्बे को
जिंदगी से लड़कर जीना सिखा गयी वो
दामिनी थी वो आंधियो और पानी मे चमकना सिखा गयी वो
तन को तोड़ दिया पर मन को न तोड़ सका कोई
सच है भारत की बेटी थी वो
गैंग रेप का शिकार दामिनी की मौत सारे देश के लिए एक दुःख भरी घटना है दामिनी की मौत ने कई सवाल खड़े किये है रेप के दोषियों के लिए फासी की सजा का प्रावधान क्यों नहीं है हमारी सरकार क्या कर रही थी पुलिस क्या कर रही थी समाज की क्या गलती है क्या सही है क्या गलत एक लम्बी बहस छिड़ी है
इन सब बातों के बीच एक काबिलेगौर बात यह भी है की उस लड़की का आत्मबल कितना मजबूत था उसकी नीव उसके संस्कारों मे क्या खासियत थी ,,,,,,,,,
६ लडको से घिरी उस लड़की ने अंत तक आत्मसमर्पण नहीं किया और उन दरिंदो से लडती रही / उसका शरीर टूट गया पर उसकी हिम्मत नहीं टूटी वो अंत तक संघर्ष करती रही / इतनी बुरी अवस्था मे भी वो लड़की जीना चाहती थी जिंदगी से भागना नहीं जिंदगी से लड़ना चाहती थी / बलात्कार की शिकार औरते अक्सर समाज और परियार के डर से केस नहीं लडती या बीच से केस वापस ले लेती है ,कई लडकिया अपनी जान तक दे देती है अक्सर पीडिता का हाल ऐसा होता है मानो वही गुनाहगार हो हर कदम पर उसे लड़ना पड़ता है जिंदगी से समाज से कानून से हालत से परिवार से टूट जाता है उसका मनोबल हार जाती है वो
ऐसे मे जब एक लड़की इतने संघर्षो के बाद यह कहती है की वो जीना चाहती है तो सच मे यह बहुत बड़ी बात है
सलाम है उस लड़की के जज्बे को उसके आत्मबल को
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