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भीख मज़बूरी या व्यवसाय ??????????????????

pragati pari
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सड़क पर चलते हुए आपकी मुलाकात भिखारियों से तो अक्सर हुई होगी माता जी बहनजी भैया आदि चिर परचित संबोधन आपको अक्सर सड़को के किनारे चोराहो मंदिरों स्कुल कॉलेज के बाहर मिल जाते हो दीदी एक रुपैया दे दो सुबह से कुछ नहीं खाए है बहुत भूख लगी है स्कुल जाने की बजाये आपके सामने गिडगिडाते ये बच्चे अक्सर दिल पिघला देते है और जेब मे हाथ डालने पर मजबूर कर जाते है वही दूसरी और कोई आपहिज़ अपनी लाचारी का रोना रो रहा होता है कभी हम उन पर तरस खाकर एक हाथ रूपया देकर आंगे बड जाते है तो कभी हममे से कुछ उन्हें देखकर अनदेखा करके आंगे बड जाते है पीछे रह जाता है तो बस एक सवाल क्या इन भिखारियों को भीख देना सही है या गलत ?????????????????????????????????????????????
मजबूरो और हालत के मारो की कमी नहीं है हमारे समाज मे मगर दूसरी और दुसरो की भवनो से खलेने वालो मज़बूरी का स्वांग रचने वालो की भी कोई कमी नहीं है इनके बिच फर्क कैसे करे बड़ा पेचीदा सवाल है ये
कितने ही अनाथ बच्चे है जिन्हें पेट भर खाना नसीब नहीं होता सारा दिन इस उम्मीद मे घूमते रहते है की आज कोई मेहरबानी कर दे शायद और पेट भर खा ले वही ये भी सुनने मे आया है की अपहरण का शिकार मासूमो को जबरदस्ती इस वयवसाय मे धकेला जाता है और उनके द्वारा सारा दिन मेहनत से कमाए गए रूपए उनसे छीन लिए जाते है ऐसे मे बड़ा सवाल ये है की भीख दे या न दे एक मजबूर को जब हम देखकर अनदेखा कर आंगे बड जाते है तो कही न कही हमारी आत्मा हमसे सवाल करने लगती है की हम इतने स्वार्थी कसे हो सकते है एक रूपया मे हमारा क्या बिगड़ जाता है और अगर हम उन्हें वो एक रूपया देते है तो सवाल उड़ता है की हम कही न कही भीख जेसी गलत परंपरा को बढावा दे रहे है जिन लोगो ने इसे व्यवसाय बना रखा है उनकी मदद कर रहे है
इस भागदौड़ भरी जिंदगी मे हमारे पास इतना वक़्त तो है नहीं की हम भिखारी को भीख देने से पहले ये पता लगाये की वो मजबूर है या स्वार्थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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